22 अक्तूबर 2025 - 15:13
मस्जिदे अक्सा पर संकट, ज़ायोनी शासन ने सुरंगे खोद डाली

ये खुदाइयाँ फ़िलिस्तीनी विरासत के प्रतीकों, जैसे पुराने घरों और ऐतिहासिक मदरसों को भी नुकसान पहुँचा सकती हैं और मस्जिदे अक़्सा के नीचे की मिट्टी को कमजोर कर सकती हैं, जिससे इसकी नींव की स्थिरता ख़तरे में पड़ गई है।

क़ुद्स प्रांत के गवर्नर के सलाहकार मअरूफ़ अल-रिफ़ाई ने कहा है कि ज़ायोनी आतंकवादी शासन तथाकथित “पुरातात्विक खुदाई” के नाम पर मस्जिदे-अक़्सा और पुराने क़ुद्स् के आसपास सुरंगों की खुदाई जारी रखे हुए है, जबकि इसका असली उद्देश्य क़ुद्स् को यहूदी शहर साबित करना है।

अल-रिफ़ाई ने चेतावनी दी कि इन खुदाइयों से ज़मीन की संरचना में दरारें पड़ गई हैं, जिससे मस्जिदे अक़्सा के कुछ हिस्सों के धंसने या गिरने का ख़तरा है।

उन्होंने बताया कि ये खुदाइयाँ फ़िलिस्तीनी विरासत के प्रतीकों, जैसे पुराने घरों और ऐतिहासिक मदरसों को भी नुकसान पहुँचा सकती हैं और मस्जिदे अक़्सा के नीचे की मिट्टी को कमजोर कर सकती हैं, जिससे इसकी नींव की स्थिरता ख़तरे में पड़ गई है। उन्होंने कहा कि “ये खुदाइयाँ वैज्ञानिक पद्धति से रहित हैं और ‘स्टेटस क्वो’ क़ानून का उल्लंघन करती हैं, जो इस बात का सबूत है कि इनका उद्देश्य सिर्फ़ राजनीतिक है।”

अल-रिफ़ाई ने ज़ोर देकर कहा कि इस्राईल की सुरंग परियोजनाएँ केवल पुरातत्व नहीं हैं, बल्कि यह एक संगठित राजनीतिक साज़िश का हिस्सा हैं, जिसका मक़सद क़ुद्स का यहूदीकरण करना और उसके ऐतिहासिक तथा भौगोलिक स्वरूप को बदलना है।

उन्होंने कहा कि इन सुरंगों का उद्देश्य क़ुद्स के पवित्र स्थलों पर इस्राईल का नियंत्रण थोपना है जो इस पवित्र शहर के भविष्य और उसकी फ़िलिस्तीनी पहचान के लिए गंभीर चिंता का कारण है।

अल-रिफ़ाई ने आगे कहा कि ये सुरंगें लंबी अवधि की साज़िश का हिस्सा हैं, जिसका लक्ष्य पुराने यरुशलम के इस्लामी और ईसाई प्रतीकों को मिटाना और उसकी जगह यहूदी प्रतीक स्थापित करना है।

उन्होंने यह भी बताया कि मस्जिदे-अक़्सा की दीवारों और उसके आसपास के धार्मिक स्थलों की तोड़फोड़, इस्राईल की उस कोशिश का हिस्सा है जिसके ज़रिए वह क़ुद्स पर पूरा नियन्त्रण चाहता है।

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